-->

 


बिलासपुर | पति और पत्‍नी के बीच, पत्‍नी की रजामंदी के बगैर भी अगर यौन संबंध बनते हैं तो उसे बलात्कार की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।



खबरों के लगातार अपडेट के लिए जुड़ें👇🏻👇🏻 https://chat.whatsapp.com/LqtnkFbjXiMBX6C6eNCgQu

 ये फैसला सुनाते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय  ने एक व्यक्ति को वैवाहिक बलात्कार  मामले में बरी कर दिया गया ।भारत में अदालत के इस तरह के फैसले का यह पहला मामला नहीं है । इससे पहले मुंबई के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजाश्री जे. घारात ने एक महिला की शिकायत पर कहा कि एक महिला की अपने पति के बलात्कार की शिकायत कानूनी जांच के दायरे में नहीं आती है ।




विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक यौन हिंसा की परिभाषा के तहत, किसी भी यौन कृत्य, यौनकृत्य करने का प्रयास, अवांछित यौन टिप्पणियां, या किसी तरह की कोशिश, प्रत्यक्ष तौर पर जबर्दस्ती की जाती है, भले ही उसका पीड़ित के साथ संबंध ही क्यों ना हो, फिर वो चाहे घर में हो या काम करने की जगह पर, यौन हिंसा माना जाता है ।हालांकि वैवाहिक बलात्कार को कई देशों में मान्यता नहीं दी जाती है, भारत में भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत विवाह के दौरान जबर्दस्ती किया गया यौन संबंध तभी अपराध की श्रेणी में आता है जब पत्‍नी की उम्र 18 वर्ष से कम हो ।



छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के फैसले पर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि भारत में पुरातनपंथी न्यायिक व्यवस्था को अब जागने की जरूरत है । उम्मीद है कि इस मामले पर जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। 



वे देश जहां वैवाहिक बलात्कार अपराध नहीं है


करीब 32 ऐसे देश हैं जहां वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाता है, इसमें से ज्यादातर विकासशील देश हैं जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, चीन, हैती, लाओस, माली, म्यांमार, कुवैत, सेनेगल, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, बोत्सवाना, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, ईरान, लेबनान, मलेशिया, नाइजीरिया, सिंगापोर, युंगाडा अलजेरिया, ब्रुनेई दारुस्सलैम, इजिप्ट, कोट दिवोइर, लिबिया, मंगोलिया, ओमान, दक्षिण सूडान, यामेन, बहरीन, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, इथियोपिया, शामिल है ।



संविधान और वैवाहिक बलात्कार


वकील और विशेषज्ञों का तर्क है कि धारा 375 का अपवाद महिलाओं की निजता, सम्मान और समानता के अधिकार का उल्लघंन है । भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 के मुताबिक प्रत्येक नागरिक समान रूप से संरक्षण अधिकार रखता है ।पश्चिम बंगाल वि अनवर अली सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 14 के तहत कहा था कि कोई भी वर्गीकरण आसानी से समझ में आने वाले तरीके पर आधारित होना चाहिए । 




एक रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि धारा 375 विवाहित महिलाओं के अधिकारों का उल्लघंन करता है ।जो बलात्कार पीड़ित है, उनके साथ उनके पति ठीक वैसा ही व्यवहार करते है जैसा इस अपराध से पीड़ित किसी और महिला के साथ होता है । और ये अपवाद वैवाहिक महिलाओं को इस धारा के तहत सुरक्षा प्रदान करने से वंचित करता है, और ये सुगमता से समझ आने वाले तरीके के बजाए पूरी तरह से महिला की वैवाहिक स्थिति के आधार पर निर्भऱ करता है ।

×